गुजरात में 675 लाभार्थियों के साथ पीएमएफएमई योजना का सफल कार्यान्वयन

@ गांधीनगर गुजरात :-

 कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत के पास फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) क्षेत्र में अग्रणी बनने का सुनहरा अवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्राथमिकता देने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (PMFME) योजना। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 29 जून, 2020 को शुरू की गई PMFME योजना का उद्देश्य सूक्ष्म और असंगठित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसाय संबंधी सहायता प्रदान कर उनका उन्नयन और औपचारिकीकरण (फॉर्मलाइजेशन) करना है। गुजरात में 675 लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने PMFME योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करते हुए 675 लाभार्थियों को इससे जोड़ा है। राज्य ने केंद्रीय समर्थन के माध्यम से बेहतर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास को गति दी है और नए बाजारों में उनका प्रवेश सुनिश्चित किया है। ये प्रयास विकसित भारत के विजन के अनुरूप हैं और समावेशी आर्थिक विकास के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

उल्लेखनीय है कि PMFME योजना के अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य व्यवसायों को परियोजना लागत पर 35 फीसदी (10 लाख रुपए तक) सब्सिडी, स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य के लिए 40,000 रुपए का प्रारंभिक वित्तपोषण (सीड कैपिटल), ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए 50 फीसदी सहायता तथा टेक्निकल एवं व्यवसायिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

PMFME योजना किस प्रकार लोगों के जीवन में परिवर्तन का एक सशक्त जरिया बनी है, इसका शानदार उदाहरण सुरभि वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड है। गुजरात के नवसारी शहर के ललित ठुम्मर द्वारा एक रसोई घर से शुरू किया गया व्यवसाय आज सरहदों को पार कर गया है। ललितभाई पहले घर पर ही 1-2 किलो वेफर्स बनाकर बेचते थे। PMFME योजना की मदद से उनके बिजनेस का इतना विस्तार हुआ कि अब वे प्रतिदिन 1.5 टन केले के वेफर्स सात देशों को निर्यात करते हैं। इस योजना के अंतर्गत ललितभाई को छीलने, टुकड़े करने और तलने की ऑटोमेटेड मशीनों के जरिए अपने उत्पादन को बढ़ाने का मौका मिला, जिससे ताजे केले के प्रसंस्करण की क्षमता प्रतिदिन 6 टन तक पहुंच गई। जिससे स्वच्छता, एक समान गुणवत्ता, लंबी शेल्फ लाइफ के साथ कंपनी के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों के द्वार खुल गए। आज सुरभि वेफर्स एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, कारोबार का विस्तार होने से स्थानीय रोजगार का भी सृजन हुआ है।

अहमदाबाद के उद्यमी बकुलेश डी. नागर प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स की अपनी रेंज के लिए जाने जाते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों और फिटनेस सेंटरों में उनके द्वारा बनाए गए प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स लोकप्रिय हो गए हैं, इसके चलते बढ़ती बाजार मांग को पूरा करने के लिए उन्हें अपने कारोबार के विस्तार की आवश्यकता थी। PMFME योजना के अंतर्गत उन्हें विशेषज्ञ मार्गदर्शन और 35 फीसदी क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी मिली, जिससे वे आधुनिक मशीनरी और अद्यतन पैकेजिंग सॉल्यूशन्स के साथ अपनी उत्पादन सुविधा को अपग्रेड कर सके। परिणामस्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता, दक्षता और ब्रांड वैल्यू में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

सूरत के मयूर वघासिया चुनौतियों को अवसरों में तब्दील करने में भरोसा करते हैं और उनके इस जज्बे को PMFME योजना से बड़ा सहयोग मिला। केवल तीन लोगों के साथ 10x10 वर्ग फुट किराये की दुकान से शुरू हुई घनश्याम फ्लोर मिल आज तीन फैक्ट्रियों और आठ रीटेल आउटलेट्स के साथ 40 लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला बिजनेस बन गया है। 1998 में अपना बिजनेस शुरू करने वाली घनश्याम फ्लोर मिल गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, इडली और ढोकला के आटे सहित 52 से अधिक प्रकार के आटे बनाती है। यही नहीं, इन सभी उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है।

सफल कारोबार के ऐसे अनेक उदाहरण यह बताते हैं कि PMFME योजना केवल इन व्यक्तियों को ही सशक्त नहीं बना रही है, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की नींव भी रख रही है।

One thought on “गुजरात में 675 लाभार्थियों के साथ पीएमएफएमई योजना का सफल कार्यान्वयन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIVE OFFLINE
track image
Loading...