हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधान सभाओं के लिए आम चुनाव, 2024

@ नई दिल्ली

परिसीमन आदेश के द्वारा निर्धारित हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों सहित कार्यकाल और संख्या इस प्रकार है:

राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश का नाम विधानसभा का कार्यकाल एसी (विधानसभा क्षेत्र) सीटों की कुल संख्या एससी के लिए आरक्षित एसटी के लिए आरक्षित
हरियाणा 04.11.2019 से 03.11.2024 90 17 0
जम्मू और कश्मीर 90 07 09

1. भारतीय निर्वाचन आयोग (इसके पश्चात ईसीआई) भारत के संविधान के अनुच्छेद 172 (1) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 के साथ अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त अधिकार और शक्तियों का प्रयोग करते हुए हरियाणा और जम्मू और कश्मीर की विधानसभाओं के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागितापूर्ण, सुलभ, समावेशी और सुरक्षित चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। रिट याचिका (सिविल) संख्या 1099/2019 के मामले में 11 दिसंबर 2023 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा के लिए चुनाव कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी फैसला किया है।

2. चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोग ने इन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया और इस दौरान आयोग ने राजनीतिक दलों, प्रवर्तन एजेंसियों, सभी जिला चुनाव अधिकारियों, एसएसपी/ एसपी, संभागीय आयुक्तों, रेंज आईजी, सीएस/ डीजीपी और राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की। आयोग ने भारत सरकार के गृह सचिव के साथ भी बातचीत की।

  1. आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के दल ने कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने, राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के विशेष चिंता वाले क्षेत्रों का पता लगाने, प्रत्येक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में आवश्यक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की संख्या पर चर्चा करने और चुनाव मशीनरी की समग्र तैयारियों की समीक्षा करने के लिए इन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया। आयोग की व्यापक देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण के तहत इन राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सभी अधिकारियों का सहयोग मांगा गया।
  2. पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के कई हिस्सों, खास तौर पर कश्मीर क्षेत्र में पंजीकृत कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं को 1980 के दशक के आखिर और 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय सीमा पार से समर्थित आतंकवादियों की आतंकी गतिविधियों के कारण अपने मूल स्थानों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसे देखते हुए, आयोग ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ परामर्श के बाद इन प्रवासी मतदाताओं को देश में कहीं भी रहते हुए अपना वोट डालने में सक्षम बनाने के लिए एक योजना बनाई, जिसके तहत 1996 से डाक मतपत्रों के माध्यम से और 2002 से दिल्ली, उधमपुर और जम्मू में स्थापित विशेष मतदान केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से मतदान किया जा रहा है। भारत सरकार ने 9 अगस्त, 2019 की अधिसूचना के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया है और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू किया है और अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अपनी स्थापना के बाद से पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। इसे देखते हुए, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं के लिए पहले की योजना का विस्तार करने का फैसला किया है।

5. इन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में खासकर संवेदनशील क्षेत्रों/ इलाकों में मतदाताओं की निर्भीक भागीदारी के साथ, आम चुनाव कराने के उद्देश्य से शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों की पर्याप्त तैनाती की आवश्यकता है। न्यूनतम आवाजाही और अधिकतम उपयोग के साथ इन बलों की लामबंदी, तैनाती और वापसी में जटिल योजना और विस्तृत विश्लेषण शामिल है, जो गृह मंत्रालय/ सीएपीएफ/ राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस नोडल अधिकारियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद किया गया है।

6. विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन:

हरियाणा विधानसभा के लिए आम चुनाव “संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश-2008” में निहित विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा के आधार पर आयोजित किए जाएंगे और जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा के लिए आम चुनाव “परिसीमन आयोग के आदेश संख्या 2, अधिसूचना दिनांक 5 मई 2022” के आधार पर आयोजित किए जाएंगे।

7. मतदाता सूची:

आयोग का दृढ़ विश्वास है कि शुद्ध और अद्यतन मतदाता सूची स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव की नींव है। इसलिए, इसकी गुणवत्ता, स्थिति और विश्वसनीयता में सुधार पर गहन और निरंतर ध्यान दिया जाता है। चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14 में संशोधन के बाद, एक वर्ष में मतदाता के रूप में नामांकन के लिए चार अर्हता तिथियों का प्रावधान है।

तदनुसार, आयोग ने 01.07.2024 को अर्हक तिथि मानते हुए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया है। 01.07.2024 को अर्हक तिथि मानते हुए मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के समयबद्ध समापन के बाद, मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में क्रमशः 20.08.2024 और 27.08.2024 को किया जाना है। मतदाता सूची के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में मतदाताओं की संख्या है:

राज्य/यूटी का नाम सामान्य मतदाताओं की संख्या  सेवारत मतदाताओं की संख्या मतदाता सूचियों के अनुसार मतदाताओं की कुल संख्या
हरियाणा 2,01,90,184 1,10,071 2,03,00,255
जम्मू और कश्मीर 87,90,870 75,834 88,66,704

1 जनवरी 2024 और 1 जुलाई 2024 के बीच 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवा मतदाताओं के नामांकन की संख्या:

राज्ययूटी का नाम 18-19 साल के मतदाता
हरियाणा 4,70,460
जम्मू और कश्मीर 4,27,813

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर राज्य में दिव्यांगजन, तृतीय लिंग और वरिष्ठ नागरिक (85+) के रूप में चिह्नित मतदाताओं की संख्या इस प्रकार है:

राज्य/यूटी का नाम कुल दिव्यांग मतदाता कुल तृतीय लिंग कुल वरिष्ठ नागरिक (85+)
हरियाणा 1,49,239 455 2,46,207
जम्मू और कश्मीर 83,072 167 69,974

समाज के सभी वर्गों की भागीदारी को अधिकतम करने तथा मतदाता सूची को बेहतर बनाने के लिए आयोग ने निम्नलिखित हर संभव प्रयास किए हैं:

    •  सीएसओ के साथ सहयोग करके दिव्यांगजनों, ट्रांसजेंडर और यौनकर्मियों जैसे कमजोर समूहों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित किया। उदाहरण के लिए, यौनकर्मियों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए एनएसीओ (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के साथ संपर्क किया।
    •  उचित क्षेत्र सत्यापन और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद मतदाता सूची में तार्किक त्रुटियों, जनसांख्यिकीय समान प्रविष्टियों और एक समान फोटो प्रविष्टियां हटाईं।
    •  युवा मतदाताओं, खासकर जिनकी 01.07.2024 को अर्हता आयु पूरी हो गई है, के नामांकन पर ध्यान दिया गया।
    • उचित प्रयास के साथ मतदान केंद्रों को युक्तिसंगत बनाया। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र का स्थलीय दौरा किया गया है और उचित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद मतदान केंद्रों को नए और बेहतर बुनियादी ढांचे वाले भवन में स्थानांतरित करने पर भी विचार किया गया है।
    • इन समूहों के पंजीकरण को बढ़ाने के लिए नागरिकों के कमजोर समूहों के लिए समाज कल्याण विभाग, एनएसीओ/ एसएसीओ आदि के डेटाबेस के साथ-साथ अन्य सरकारी डेटाबेस को बेंचमार्क के रूप में माना गया था।
    •  आयोग मतदान केंद्रों में पीडब्ल्यूडी और वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहुंच के अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं लागू करता है, सीईओ/ डीईओ को मतदान केंद्रों पर रैंप जैसे स्थायी बुनियादी ढांचे का निर्माण करने का निर्देश दिया गया है।
    •  तीन या अधिक मतदान केंद्रों वाले मतदान केंद्र स्थलों को अलग-अलग प्रवेश और निकास के लिए योजनाबद्ध किया गया है ताकि किसी भी महामारी या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
    •  आयोग ने डीईओ को पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने और मॉडल मतदान केंद्र बनाने के लिए स्थानीय संस्कृति और कला का प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया है। जहां तक ​​संभव हो, प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसा मॉडल मतदान केंद्र होना चाहिए।
    •  85+, दिव्यांगजनों आदि की सूची तैयार की गई है तथा उन्हें समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा महसूस कराने के लिए सम्मान/ मान्यता का संदेश भी भेजा गया है।

8. फोटो मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी):

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभाओं के आम चुनावों के दौरान फोटोयुक्त मतदाता सूची का उपयोग किया जाएगा। मतदान के समय मतदाता की पहचान स्थापित करने के लिए ईपीआईसी एक दस्तावेज है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से पहले सभी नए पंजीकृत मतदाताओं को ईपीआईसी की 100% डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

9. मतदाता सूचना पर्चियां (वीआईएस):

मतदाताओं को अपने मतदान केंद्र में मतदाता सूची की क्रम संख्या, मतदान की तिथि, समय आदि जानने में सुविधा प्रदान करने के लिए ‘मतदाता सूचना पर्ची’ जारी की जाएगी। मतदाता सूचना पर्ची में मतदान केंद्र, तिथि, समय आदि जैसी जानकारी क्यूआर कोड के साथ शामिल होगी, लेकिन मतदाता की तस्वीर नहीं होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा सभी नामांकित मतदाताओं को मतदान की तिथि से कम से कम 5 दिन पहले मतदाता सूचना पर्ची वितरित की जाएगी। हालांकि, मतदाता सूचना पर्ची को मतदाताओं की पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

10. ब्रेल मतदाता सूचना पर्चियां:

निर्वाचन प्रक्रिया में दिव्यांग व्यक्तियों की भागीदारी को आसान बनाने और सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने सामान्य मतदाता सूचना पर्चियों के साथ-साथ दृष्टिबाधित व्यक्तियों को ब्रेल लिपि में सुगम मतदाता सूचना पर्चियां जारी करने का निर्देश दिया है।

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