@ भोपाल मध्यप्रदेश :-
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्नेह का बंधन एकतरफा नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार हर पल वनवासियों के साथ खड़ी है, यह बात पूरी शिद्दत से उन तक पहुंचनी चाहिए। सभी वनवासियों को सरकार की योजनाओं से जोड़ें और उनके जीवन में विकास का प्रकाश लाने की दिशा में काम करें। वनवासियों के कल्याण के लिए हरसंभव प्रबंध किए जाएं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय वर्ग के अध्ययनरत एवं रोजगार कर रहे बच्चों का सामाजिक सम्मेलन बुलाएं। इस सम्मेलन के जरिए सरकार इन बच्चों को उन तक पहुंचने वाले लाभ का फीड-बैक भी लेगी और जिन्हें जरूरत है, उन तक सरकार की योजनाएं तथा सुविधाएं भी पहुंचाई जाएंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पेसा मोबालाईजर्स को नियुक्त करने और संतोषजनक प्रदर्शन न करने पर इन्हें हटाने के अधिकार सरकार अब ग्राम सभाओं को देने जा रही है।इस निर्णय से एकरूपता आएगी और ग्राम सभाएं पेसा मोबालाईजर्स से अपने मुताबिक काम भी ले सकेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वनवासियों की बेहतरी के लिए संकल्पित है। उनके सभी हितों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि वन विभाग का मैदानी अमला यह सुनिश्चित करे कि वन भूमि पर अब कोई भी नये अतिक्रमण कदापि न होने पाएं।
बैठक में समिति के सदस्य एवं पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम के प्रभावी अमल के लिए बालाघाट जिले में पुलिस विभाग द्वारा सभी पुलिस चौकियों में एकल सुविधा केन्द्र स्थापित कर इसके जरिए कैम्प लगाकर जनजातियों को लाभान्वित किया जा रहा है। अब तक 450 वनाधिकार दावे भरवाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी 88 जनजातीय विकासखंडों वाले जिलों के कलेक्टर को बालाघाट मॉडल भेजकर इसी अनुरूप कार्यवाही करने के लिए कहा जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र के सभी गांवों के विकास के लिए प्रस्ताव दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह कार्य एक्शन प्लान बनाकर किया जाए। उन्होंने कहा कि 31 दिसम्बर 2025 तक सभी गांवों के दावे प्राप्त कर लें और इसी दौरान इनका निराकरण भी कर लें। वन अधिकारियों की ट्रेनिंग का काम 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई तकनीकी परेशानी आ रही है तो इसके लिए वन और जनजातीय कार्य विभाग मिलकर एक नया पोर्टल भी विकसित कर लें।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातियों द्वारा उत्पादित अन्न के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए। अन्न से बिस्किट, कुकीज, खीर और हलवा जैसे उत्पाद तैयार कर इन्हें खुले बाजार में बेचने के लिए जनजातियों को मार्केट लिंकेज प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अन्न में कोदो-कुटकी को लोग उपवास में मोरधन के रूप में खाते हैं, यह अच्छी बात है इससे अन्न की खपत बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम के अच्छे परिणाम पाने के लिए हमें समन्वित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। वन अधिकार अधिनियम, पेसा, बीडीए जैसे सभी कानूनों को एकीकृत रूप से ग्रामसभा स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए ग्रामसभा को ही निर्णय का केंद्र बिंदु संस्था बनाया जाना चाहिए। सभी विभागीय योजनाओं का समन्वय ग्रामसभा के माध्यम से ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के ग्रामों के विकास के लिए ग्रामसभा, वन विभाग और निवेशक तीनों मिलकर पारदर्शिता और हितग्राहियों को लाभ वितरण तय करें। सभी विभाग आपसी समन्वय से ग्रामसभा के नेतृत्व में कार्य करें, जिससे समावेशी विकास और स्थायी पर्यावरण संरक्षण दोनों सुनिश्चित किए जा सकें।
बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा भी अपनी बात तथ्यात्मक रूप से रखी गई और वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के फील्ड में बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपने-अपने सुझाव दिए गए।
उन्होंने बताया कि पुन: परीक्षण के लिए 87 हजार 283 और एक लाख 86 हजार 224 नए प्राप्त दावे इस प्रकार कुल 2 लाख 73 हजार 457 दावे अभी लंबित स्थिति में है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के बड़वानी, धार, खरगोन, मंडला, बैतूल, छिंदवाड़ा, शहडोल, खंडवा, सिंगरौली, रायसेन, डिण्डौरी, अलीराजपुर, बुरहानपुर, सिवनी, उमरिया और बालाघाट जिले में 7-7 हजार से भी अधिक वनाधिकार दावे मान्य किए गए हैं।
टास्क फोर्स की शीर्ष समिति की इस पहली बैठक में समिति उपाध्यक्ष तथा जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, समिति उपाध्यक्ष तथा वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार, समिति के पदेन सदस्य सचिव तथा मुख्य सचिव अनुराग जैन, समिति के पदेन सदस्य सह सचिव तथा प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, टास्क फोर्स कार्यकारी समिति के पदेन सदस्य तथा अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल, पदेन सदस्य तथा प्रमुख सचिव राजस्व विवेक पोरवाल, पदेन सदस्य तथा संचालक पंचायत एवं ग्रामीण विकास छोटे सिंह, समिति के सदस्य पूर्व विधायक राम डांगोरे, जनजातीय मंत्रणा परिषद के डॉ. रूपनारायण मांडवे एवं कालू सिंह मुजाल्दा, समिति के सदस्य विधि विशेषज्ञ डॉ. मिलिंद दांडेकर, एक्सपर्ट मेम्बर गिरीश कुबेर, विषय विशेषज्ञ मिलिंद थत्ते, मुख्यमंत्री के अपर सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम, अपर आयुक्त जनजातीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान रीता सिंह तथा अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित थे।
